गुमशुदा
किस राह पर तू चला गया मुझे कुछ भी पता
ना चला,
तुझे ढूंढता फिरा मैं दरबदर तेरा नामो निशां कहीं
ना मिला,
तू था मेरी रोशनी तुझ से रोशन थी मेरी जिंदगी ,
तू क्या मुझसे जुदा हुआ अब हर-सम्त है तीरगी ,
ज़ेहन में पैवस्त यादों के अब्र में अब भटकता
फिरता हूँ ,
तुझको एहसास- ए – मुजस्सम में ज़िंदा रख जीने की कोशिश करता हूँ ,