गुमराह मत हो जिन्दगी
हो रहे नशे के गर्त में
गुमराह बच्चे
उन्हें सही राह दिखाना है
हाथ पकड़ कर चलना है
बन कर उनके साथी सच्चे
इन्सान आज
खुद ही है गुमराह
भ्रष्टाचार के जाल में
जब निकलेगी
अंतरात्मा से आवाज
ईमानदारी की
भ्रष्ट मुक्त होगा
देश समाज अपना
गुमराह करने को
बहुत है दुनियाँ में
रहेगे जागरूक
तो नहीं फंसेगे जंजाल में
ईश्वर है सही राह
दिखाने वाला
विश्वास रखो उस पर
फिर न रहेगी गुंजाइश कोई
गुमराह होने की
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल