गुमनाम रहने दो मुझे।
हूँ मिजाजी सूफियाना,
एक्दम सच कहता तुझे।
नामवर बनना नहीं,
गुमनाम रहने दो मुझे।
दिल में ख़्वाहिश न रही अब,
मेरे भी चर्चे बने।
इश्तहारी के लिए
बेनाम के पर्चे बने।
बस फ़ज़ल है ये हुनर,
बिन दाम रहने दो मुझे।
नामवर बनना नहीं,
गुमनाम रहने दो मुझे।
बोलूं मेरी क्या तमन्ना,
कैसे सबको दूँ बता।
क्या बुराई नाम में,
एतराज कैसे दूँ जता।
कामयाबी में अकड़,
नाकाम रहने दो मुझे।
नामवर बनना नहीं,
गुमनाम रहने दो मुझे।
आरजू मेरी फ़क़त,
मुरशिद के दर खिदमत करूं।
गैरवाजिब काम के
अंजाम से हर दिन डरूं।
जी हुजूरी में सहर से,
शाम रहने दो मुझे।
नामवर बनना नहीं,
गुमनाम रहने दो मुझे।