गुमनाम ईश्क।
मुकम्मल हो जाएं मेरे सभी ख्वाब
मैंने मेरे खत में हा लिखा
अरे तुम पूछ के तो देखो यार
मैंने मेरा जवाब लिखा हैं।
जो भी अच्छा और जो भी बुरा हैं
तुमने सिखाया और हमने सिखा हैं।
तुम्हारी आखों में जो दिखा हैं
हम तो पागल हो गए जनाब
जो दिखा वो हमने ने लिखा हैं।
तुम्हारी आखों का जो नशा है
इस महफ़िल में हर नशे से वो महंगा बिका है।
उस नशे में Sonit फसा हैं
अरे जमानत भी नहीं मिल रही
अब तो उम्र कैद की सजा हैं।
लेखक सोनित प्रजापति।