गुनाह
करते है “गुनाह” सभी एक “गुनाह”
हमने भी किया, तो क्या बुरा किया।
ज़मी को चाह फ़लक की फ़लक
को ज़मीं पर झुकाया, तो क्या बुरा किया।
रेगिस्ताँ था दिल उनका उसको
गुलिस्ताँ बनाया, तो क्या बुरा किया।
भटक गया था वो रास्ता “सरिता”
उसे मँजिल तक पँहुचाया, तो क्या बुरा किया।
दुनियाँ ने लगाई तोहमतें हज़ार हमपर
उसे हमने कबूल किया, तो क्या बुरा किया।
इश्क़ में मिट गये कई दीवाने
हमने ख़ुद को फ़ना किया, तो क्या बुरा किया।
#सरितासृजना