गुनाह करो कुछ ऐसा
गुनाह करो तुम कुछ ऐसा
कि ऊपर वाला भी कायल हो जाये
चीरती हुई भीड़ में जैसा कोई
भेड़िया बब्बर शेर हो जाये !!
बेगुनाह को सजा दे देते हैं
जमाने में अदालत के जज
मजा तो तब देखने में आता
है, जब इनको सजा देते हैं सब !!
मंजिल तेरी और है, क्यों भटकता
रहता है दुनिया में बेख़ौफ़ बन्दे
रास्ता तो सच कि तरफ भी जाता है
छोड़ दे सारे के सारे गोरख धन्धे !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ