गुनाहों के पूरे गट्ठर है हम
गुनाहों के पूरे गट्ठर है हम
रास्ते पर पड़े पत्थर है हम
लिए मन में इर्ष्या का भाव
गिरगिट के जैसे है स्वभाव
नीचा दिखाने में तत्पर हैं हम
गुनाहों के पूरे गट्ठर है हम।
मानवता को खो रहे हैं
खुद के लिए क्या बो रहे हैं
जान के दुश्मन परस्पर हैं हम
गुनाहों के पूरे गट्ठर है हम।
इच्छा हजारों मन में पाले हुए,
नफ़रतो से दिल काले हुए,
औरों में कमी ढूंढते अक्सर हैं हम
गुनाहों के पूरे गट्ठर है हम।
गुनाहों के पूरे गट्ठर है हम
रास्ते पर पड़े पत्थर है हम।
नूर फातिमा खातून” नूरी”
जिला- कुशीनगर