गुनाहों की हवेली
यह ज़ुल्म और नाइंसाफी
उन्हें बहुत महंगी पड़ेगी!
अभी अगर है चुप जनता
हमेशा ही तो नहीं रहेगी!!
सदियों से मेहनतकशों की
गर्दन पर जो खड़ी हुई है!
आज नहीं तो कल वह
गुनाहों की हवेली ढहेगी!!
Shekhar Chandra Mitra
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