गुण अपहरण!!!
गुण अपहरण!!!
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कुछ वास्तविक और आभासी दुनिया के मित्र हैं। पता नहीं, मैं उनको नाराज़ कर पाता हूं या नहीं, मगर, मैं उनसे यदाकदा नाराज़ होने की हद तक असहमत हो जाता हूं, लेकिन वे मेरी नाराजगी का हरण कर लेते हैं। अब उनके इस गुण या कि रवैए से कैसे पार पाऊं?
ऐसा होता रहा तो मेरे आपा खोने के ’गुण’ का एक दिन अपहरण ही हो जाएगा!!!