” गुणों की खान बोगनवेलिया”
गुणों की खान बोगनवेलिया
लाल, गुलाबी ,पीली ,सफेद
कई रंग में दिख जाती है,
चटक रंग हैं ऐसे!
सबका दिल ललचाती है
आग उगलती धूप में भी,
आंखों को ठंडक दे जाती है,
कभी दरवाजे, कभी बाउंड्री पर,
कई आकारों में संवारी जाती है।
गुण इतने की बखान, कर ना पाए
श्मशान में जहां ,कोई जाना पाए
दिन रात शोभा बिखेरती जाए,
गमगीन माहौल को खुशनुमा बनाए।
यह तो उस ,सिपाही सी लगती है
जहां खड़ी सीमा सुनसान नजर आती है
सैनिक से है देश की रक्षा
बोगनवेलिया प्रकृति की समीक्षा।
बोगनविलिया व सौभाग्य है पाती,
भले ही पूजा ,श्मशान में ना जाती
फिर भी बहुत है मतवाली,
क्योंकि वह प्रकृति की, खुशहाली
बोगनविलिया के फूल सदैव इतराते हैं
क्योंकि पूजा के फूल से ना रौंदे जाते हैं
एक स्वाभिमानी की तरह जीते जाते हैं
पूजा के फूल नहीं, पर दिल खुश करती
बोगनवेलिया, यही सच्चाई है
गुणों की खान, बोगनविलिया।।