गुणगान किया तेरा मोहन ,पर मन वृंदावन नहीं किया
बस तेरी सेवा में अर्पण,हमने ये जीवन नहीं किया
गुणगान किया तेरा मोहन ,पर मन वृंदावन नहीं किया
अपने दान पुण्य गा गा कर , खूब कमाया नाम तो यहां
साफ किया तन मल मल कर , पर साफ कभी मन नहीं किया
धर्मों के जो आका बनकर ,बस लोग लड़ाते रहते हैं
पढ़े उन्होंने धर्म ग्रन्थ पर, उन पर ही मंथन नहीं किया
बात सत्य ये कही गई है, दर्पण झूठ नहीं कहता है
पर सत्य अधूरा रहता है, यदि मन को दर्पन नहीं किया
राम राम जपते रहने से, ये जीवन सफल नहीं होते
व्यर्थ ‘अर्चना’ पूजा है यदि, कर्मों से अर्चन नहीं किया
20-11-2018
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद