*गुड़िया प्यारी राज दुलारी*
गुड़िया प्यारी राज दुलारी
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गुड़िया प्यारी राज दुलारी,
लाडो रानी सखा हमारी।
गरम लू का छुए ना झौंका,
छू ना पाए कोई बीमारी।
चिड़ियों के चंबे जैसा डेरा,
उड़ जाएँगी वो मार उड़ारी।
रंग – बिरंगे रंगों से भरी है,
रंगीन सृष्टि लगती सारी।
लाड लगाऊं प्रेम करूँ मै,
सुता ने भरी झोली हमारी।
पाला पोषा लाड लड़ाया,
दूसरे घर जाने की तैयारी।
विदाई में आँसू रोकूूँ कैसे,
धीरज बढाए बांके विहारी।
मनसीरत मन प्यासा सदा,
आत्मजा बिना दिल भारी।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)