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10 Oct 2019 · 1 min read

गुजरे पल ।

याद करने के बहाने याद आते है
तुझसे बिछड़ के अफ़साने याद आते है
था वो दिन मेरा खुशियों से भरा
अब ये सोच कर पुराने दिन याद आते है ।

हर तरफ़ मेरे चर्चे सरेआम हो रहे है
सारे शहर में अब हम बदनाम हो रहे है
मेरी कामयाबी से भला इतनी नफ़रत क्यों है
मेरे ही नाम से तो सारे तेरे काम हो रहे है ।

बिछड़ कर तुझसे मुझें सबकुछ मिला
तुझे ग़म के सिवा और कुछ ना मिला
बिछड़ना इक हद तक जरूरी भी था
मुझें ये शहर तो मिला मगर तू ना मिला ।

अब के मिले तो तुम मोहब्बत ना करना
झूठे वादों की बिल्कुल ज़ुर्रत ना करना
नाक़ाब लगाए फिरते है सारे इस शहर में
ऐसे लोगों की तुम कभी इज्ज़त ना करना ।

-हसीब अनवर

Language: Hindi
3 Likes · 265 Views
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