गुजरे पल याद आते हैं
गुजरे पल याद आते हैं वो
जब हम साथ तुम्हारे होते थे।
मुलाकातों की यादें ताज़ी थीं
हृदय में आशाओं की शहजादी थी
झुकी नजरें,मुस्कान मधुर
भ्रमर को परागपान की अभिलाषा थी
गुजरे पल याद आते हैं वो
जब हम साथ तुम्हारे होते थे।
अधरों पर अधरों का वो स्पर्श
थे,बड़े मनोरम पल
तलाश हैं फिर वो, बिछड़े दिन
आएंगे कब वो गुजरे पल?
गुजरे पल याद आते हैं वो
जब हम साथ तुम्हारे होते थे।
कोमल-कोमल कुसुमित काया
कपोल सजाए,मनमोहक डिम्पल
संग भ्रमण और संग रमण
के दिन बहुत सताते हैं
गुजरे पल याद आते हैं वो
जब हम साथ तुम्हारे होते थे।
दिवास्वप्न की भांति भी,हम
अनुपम ख्वाब सजाते थे
सौन्दर्य का तेरे,झलक मिले
निशाश्वप्न में आते थे
गुजरे पल याद आते हैं वो
जब हम साथ तुम्हारे होते थे।
मिटी दूरियाँ, हैं पास नजदीकियां
आई सुगन्धित,मधुयामिनी की बेला
रमणीय हो,यह पावन संगम
लगाएं हम,मिलकर स्नेह का मेला
गुजरे पल याद आते हैं वो
जब हम साथ तुम्हारे होते थे।
-सुनील कुमार