गुजरे जमाने का इश्क
बचपन के इश्क की आज फिर
बुढ़ापे में देखो चर्चा हो गई
यादें पुरानी फिर से जिंदा हुई
सिसकते हुए जो कभी थी सो गई
वह बचपन का इश्क दहलीज जवानी की
किस पल लांघ कर आगे निकल गया
भूल चुके थे जिसे दुनियादारी निभाते
सूख गए थे वह आंसू वह पल निकल गया
मायूस था चेहरा छाई थी उदासी
देख उसका निकाह माहौल गमगीन था
भूलने में जिसे लग गए साल दर साल
बड़ी मुश्किल थी मामला भी संगीन था
उन यादों को करके दफन जीना सीखा था
बड़ा मुश्किल था फिर भी जी रहे थे हम
ना जिक्र था अब तो ना फिकर थी उसकी
किस्मत के बहुत शुक्रगुजार थे हम
पर अचानक आज उनसे मुलाकात हो गई
कनखियों से ही हुई पर बात हो गई
आंखों ही आंखों में यादें भी ताजा हो गई
जो हो चुकी थी आम फिर से वह खास हो गई
बचपन के इश्क की आज फिर
बुढ़ापे में देखो चर्चा हो गई
वीर कुमार जैन
03 जुलाई 2021