गुजरा जमाना
******** गुजरा जमाना *******
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गुजरा जमाना मुझे याद आता है
पल पल बिताया साथ याद आता है
तेरा वो हंसते हुए शरमा जाना
हया से नजर चुराना याद आता है
गोरे – गोरे गाल सुर्ख गुलाबों से
गालों का गुलाबीपन याद आता है
हंसते हुए रुखसारों के गहरे डिंपल
हसीं प्यारा सा डिंपल याद आता है
काले काले गेसुओं की घनी छाँव
छाया में छिप जाना याद आता है
बालों को हल्के हाथो से सहलाना
मर्मस्पर्शी सा छुअन याद आता है
मिस्री से रसीले मीठे बोले बोल
बोलों का मीठापन याद आता है
भरे यौवन का उमड़ता सा शैलाब
तरुणाई में बहना याद आता है
जवानी के नशे में वो बहक जाना
आशिकी का जमाना याद आता है
सुखविन्द्र संग बीताई हसीन शामें
गुजारा रंगीन लम्हा याद आता है
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)