गुजरते वकत में शामिल हो जाऊंगा
गुजरते वकत में शामिल हो जाऊँगा मैं,
एक तस्वीर बन कर रह जाऊँगा मैं,
खुशिया जितनी भी हैं मेरे दिल के अंदर
आप सभी को बाँट कर चला जाऊँगा मैं !!
न फरेब जानता हूँ, न छल करना जानता हूँ
दिल पाक साफ़ है मेरा,इसे छोड़ जाऊँगा मैं,
जितनी जिन्दगी बक्शी है, उस रब ने मुझे,
रोजाना वादा है आप को, हँसता चला जाऊँगा मैं !!
गमो को सहना सीखा दिया है,वकत ने मुझे
दिल किसी का न दुखे , कभी भी मुझसे,
बस यही कामना करता हूँ रोजाना मैं रब से,
ख़ुशी ख़ुशी चला आऊँगा ,जब बुलाओ गे मुझे !!
कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ