गीत _दूँ सींच लहू से अपने मैं
दूँ सींच लहू से अपने मैं
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रहे मुक्कमल जहाँ ये सारा
जान से प्यार मेरा वतन
दूँ सींच लहू से अपने मैं
मुरझा ना पाये हसीं चमन
कोई बुरी नज़र ना टिक पाये
ललकार से दुश्मन हिल जाये
सोच सोच वो घबराये, थर थर करे बदन
दूँ सींच लहू से अपने मैं
मुरझा ना पाये हसीं चमन
दामन मजहब का छोड़ेंगे
रिश्ता ये दिलों का जोड़ेंगे
विश्वास ना अब हम तोड़ेंगे, कितने कोई करे जतन
दूँ सींच लहू से अपने मैं
मुरझा ना पाये हसीं चमन
शायर देव मेहरानियां
अलवर राजस्थान