तेरे नैना
“गोरी नैना ये तेरे कटार से,डरता हूँ दीदार से,
बातों से तेरे रस टपके, मीठी अमिया सी बोले तू प्यार से, डरता हूँ दीदार से,
काली घटा सी जुल्फें तेरी, भीग जाऊं ना रिमहिम फुहार से, डरता हूँ दीदार से,
होठ गुलाबी कमल से तेरे, मुस्कुराहट लगे तलवार सी,
डरता हूँ दीदार से,
गालों की लाली जैसे ढलता सूरज, तू सुन्दरता की है मूरत, हर मौसम के रंग है तुझमें, पतझड़ सावन बाहर से,
डरता हूँ दीदार से,
हरियाली तू खेतों की, मतवाली धून गीतो की, तू ही बहती है पूर्वा बयार सी, डरता हूँ दीदार से,
गोरी नैना ये तेरे कटार से, डरता हूँ दीदार से,
गोरा बदन तेरा चांद सा चमके, बिजली सा तन तेरा दमके, होश रहे कब तुझ को पाकर, मदहोशी के चढ़ते खुमार से, डरता हूँ दीदार से,
गोरी नैना ये तेरे कटार से,डरता हूँ दीदार से,
चाल तेरी नागिन से लागे, छम, छम, छम पायलिया बाजे,
नींद उड़ जाए सून छनकार से, डरता हूँ दीदार से,
दिल हिचकोले खाके ना पहुँचे, नैया प्रीत की लेके मझधार में, डरता हूँ दीदार से,
रूप सलोना मन मेरा लूटे, शर्तें ऊंची हैं चाइना दीवार से, डरता हूँ दीदार से,
गोरी नैना ये तेरे कटार से,डरता हूँ दीदार से.”।