“गीत”
यदि पुष्प तेरी कामना |
तो शूल भी स्वीकारना |
आगे अचल पहाड़ हो
पर हार तुम मत मानना
मत मौन हो संग्राम में
बन सिंह तुम ललकारना |
यदि……
निज राह के रोड़े चुनो
रस्ते भी खुद ही तुम बुनो
पीछे कभी मत लौटना
बढ़ तुंग पर अधिकारना |
यदि…….
सेवा में जीवन झोंक दे
हर गल्तियों को टोंक दे
छाया मिले या धूप ही
उपकार को रफ्तारना |
यदि……
हो दिन हो या के रात हो
तुम देश को संवारना
बौना करो क़द शत्रु का’ अब
तुम टूटकर फटकारना |
गति मंद तुम करना नहीं
रफ्तार में ही भागना |
यदि …….