गीत
—- क्षेत्रपाल शर्मा
तन से मुक्ति चाहने वाले,
मन को ये बंधन न मिलेगा।।
पल से पल का आकर्षण ही
जड़ चेतन की उमर बढाए
बंधन के कारण ही स्वर है
जो भावों में प्राण जगाए ।
बिना बंधे गाड़ी न चलेगी
नयनों को अंजन न मिलेगा
तलवों को कांटे न मिलेंगे
माथे को चंदन न मिलेगा ।।
स्व रचित पुस्तक “झरोखा” से