गीत
* आखिर मिलना क्या है ?*
इनका जीना मरना क्या है ?
इनसे आखिर मिलना क्या है ?
मख्खी मच्छर कीट पतंगे।
निर्धन निर्बल नीच लफंगे।
अपने लिय ही यह जीते है।
कुछ लहु कुछ आंसू पीते है।
इनका जीना मरना क्या है ?
इनसे आखिर मिलना क्या है ?
माखी माछर मन मडराते।
मौका मिलता खूं पी जाते।
जीव जानवर कोई भी हो,
यह तो सबको रहे सताते।
लाभ इन्ही से वरना क्या है ?
इनसे आखिर मिलना क्या है ?
कीट पतंगे उड़ते फिरते।
कुसुम कणों को खाते रहते।
अपनी धुन में मगन रहे यह,
नही किसी को क्षत पहूँचाते।
इनसे किसको डरना क्या है ?
इनसे आखिर मिलना क्या है ?
निर्धन निधन समान यहाँ है।
निर्बल मरणासन्न जहाँ है।
कहते इसको इंसान अरे।
इनका हो सम्मान कहाँ है।
इनको जीकर करना क्या है ?
इनसे आखिर मिलना क्या है ?
लुच्चे लफंगे करते दंगे।
खाते पीते फिरते चंगे।
इनका कोइ बिगाड़ेगा क्या,
फिरतेयह आजीवन नंगे।
इनके सह ‘मधु’रहना क्या है ?
इनसे आखिर मिलना क्या है ?
***©मधुसूदन गौतम
9414764891