$गीत
मैं गीत गा रहा हूँ, थोड़ा मुस्क़रा रहा हूँ।
तुझे हँसाने वास्ते, दर्दे-दिल छिपा रहा हूँ।।
ख़्वाबों ख़्यालों में तुम, रहती हो मुझको घेरे।
दीवाना हूँ पागल, सदके जाऊँ मैं तेरे।
तन्हा उदासी छाई, मैं तुझको बुला रहा हूँ।
तुझे हँसाने वास्ते, दर्दे-दिल छिपा रहा हूँ।।
क़समें वादे सच्चे, विश्वास किया जो तूने।
रहूँ हमेशा ऐसा, अहसास किया जो तूने।
शब्द लबों पर आएँ, आईना बना रहा हूँ।
तुझे हँसाने वास्ते, दर्दे-दिल छिपा रहा हूँ।।
रूही मोहब्बत के, हसीं तसव्वुर होते हैं।
गुल बुलबुल के जैसे, संबंध मधुर होते हैं।
अमर रवानी जिसकी, इश्क़ वहीं निभा रहूँ हूँ।
तुझे हँसाने वास्ते, दर्दे-दिल छिपा रहा हूँ।।
आँखों के रस्ते से, तेरे दिल में आऊँगा।
जान बनाकर तुझको, ख़ुद से ज़्यादा चाहूँगा।
इश्क़ हुआ जो मुझको, वही तुझे सिखा रहा हूँ।
तुझे हँसाने वास्ते, दर्दे-दिल छिपा रहा हूँ।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’