“गीत सुनाओ जीवन के”
आओ बैठो क्षण दो क्षण ,
सुनो सुनाओ पल दो पल,
जीते क्यों हो रीतेपन में ,
रहते क्यों हो खाली मन से,
कुछ मेरी सुनो कुछ अपनी कहो ,
समय कहाँ है इस जीवन में ,
दर्द बहुत है सूनेपन के,
सुख के साज नहीं कम हैं ,
छेंडो ताल सरगम के,
गीत सुनाओ जीवन के||
………निधि……