गीत- मेरी आवाज़ बन जाओ…
भरी महफ़िल सुने मालिक मेरी आवाज़ बन जाओ।
ज़ुदा सबसे इनायत कर नया अंदाज़ बन जाओ।।
तेरा जो हाथ हो सिर पर ज़माना जीत लूँ मालिक।
मुझे सुर दो रुहानी तुम तराना सीख लूँ मालिक।
इबादत के मेरे सुंदर सुनो अल्फ़ाज़ बन जाओ।
ज़ुदा सबसे इनायत कर नया अंदाज़ बन जाओ।।
तुम्हीं सागर तुम्हीं नदियाँ तुम्हीं पर्वत तुम्हीं गुलशन।
तुम्हीं प्यारे तुम्हीं न्यारे तुम्हीं संकट तुम्हीं सुलझन।
तुम्हीं कल थे मेरे अपने तुम्हीं फिर आज बन जाओ।
ज़ुदा सबसे इनायत कर नया अंदाज़ बन जाओ।।
मदारी तुम ख़ुदा मेरे ये कठपुतली हमारा मन।
नचाओ नाच जैसा भी नमन करता हमारा मन।
बड़ी इच्छा हृदय-वीणा के लय सुर साज़ बन जाओ।
ज़ुदा सबसे इनायत कर नया अंदाज़ बन जाओ।।
आर. एस. ‘प्रीतम’