गीत- मुझे खारा मिला पानी…
मुझे खारा मिला पानी मुहब्बत की है सागर से।
गिला-शिकवा नहीं कोई शिक़ायत ही है सागर से।।
नहीं पथ कोई सीधा है नहीं आसान मंज़िल है।
मिले चाहे बिछुड़ जाए परेशां हर यहाँ दिल है।
मिलें मोती अगर ख़ोजो सुना है यार सागर से।
गिला-शिकवा नहीं कोई शिक़ायत ही है सागर से।।
किसी संताप का मतलब सिखाना नूर पाना है।
ख़ुशी की चाह में ख़ुद से नहीं सुन दूर जाना है।
मुसीबत झेल सरिता को मिलन करना है सागर से।
गिला-शिकवा नहीं कोई शिक़ायत ही है सागर से।।
किया है प्यार दिल से तो निभाऊँगा मैं शिद्द्त से।
शिला को मोम करके सुन रिझाऊँगा मैं उल्फ़त से।
हुआ ‘प्रीतम’ करूँ प्रीतम किसी शबनम को सागर से।
गिला-शिकवा नहीं कोई शिक़ायत ही है सागर से।।
आर. एस. ‘प्रीतम’