गीत भॅवरों ने गुनगुनाए हैं
ग़ज़ल-
गीत भॅवरों ने गुनगुनाए हैं।।
चार सू फूल मुस्कराये हैं।।
शम्स(सूरज) ने सर उठाया है ज्यों ही।
चाॅद तारें भी मुंह छिपाये हैं।।
रातरानी लुटा चुकी खुश्बू।
आज महकी हुई हवाएं हैं।।
तितलियों ने भरी उड़ाने जब।
रंग सारे सिमट के आयें हैं।।
है फ़ज़ा में “अनीस ” मदहोशी।
पाँव अपने भी लड़खड़ायें है।।
– – अनीस शाह