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25 Mar 2022 · 1 min read

गीत – “नेक चाह “

“गीत ”
चाह मन में नेक लेकर हम सदा विजयी कहाएँ।
दीन दुखियों से गले मिल प्रीत की गंगा बहाएँ।

क्या पता हम हों न हों कल, क्यों न मस्ती में जियें हम।
विघ्न बाधा से लड़ें अब और गम का विष पियें हम।
हम तिमिर को छाँट कर फिर चाँदनी के साथ होंगे।
चल पड़ेंगे साथ मिलकर हाथ में तब हाथ होंगे।।

रच नया इतिहास जग में हम सदा अमरत्व पाएँ।
दीन दुखियों से गले मिल प्रीत की गंगा बहाएँ।

मन हमारा शांत हो फिर जीत निश्चित है हमारी।
जीत लेंगे इस जहाँ को कर्म पथ पर कर सवारी।
सोच को विस्तार दें हम आचरण को शुद्ध कर जब।
जान पायें इस जहाँ को उर पटल को बुद्ध कर जब।।

नारियों को मान देकर धर्म अपना हम निभाएँ।
दीन दुखियों से गले मिल प्रीत की गंगा बहाएँ।

रंजना सिंह “अंगवाणी बीहट”

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 1 Comment · 474 Views
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