गीत- नयी हसरत लिए चल तू…
नयी हसरत लिए चल तू नया हर काम करता चल।
मिली जो ज़िंदगी तुझको इसे गुलफ़ाम करता चल।।
मिलन सबसे रहे प्रीतम यही संस्कार रखना है।
ख़ुदा से है वही सबसे हमेशा प्यार रखना है।
बड़ी चाहत बड़ी उल्फ़त सभी के नाम करता चल।
मिली जो ज़िंदगी तुझको इसे गुलफ़ाम करता चल।।
ये दुनिया तो सुनो झूठी इसे सच मान मत हँसना।
बनाकर नाग ख़ुद को तुम किसी को यार मत डसना।
किसी के काम आकर तू बड़ा हर काम करता चल।
मिली जो ज़िंदगी तुझको इसे गुलफ़ाम करता चल।।
गुज़ारिश है यही तुमसे करो लाचार की सेवा।
इसे करके लगेगा दोस्त की सत्कार की सेवा।
सुहानी सुब्ह ‘प्रीतम’ तू रुहानी शाम करता चल।
मिली जो ज़िंदगी तुझको इसे गुलफ़ाम करता चल।।
आज एस. ‘प्रीतम’