गीत तेरी प्रीत के
गीत तेरी प्रीत के मचले से सागर तो नही है
वेदना से सिक्त कोई प्रेम गागर तो नही है
प्यार की परिणति गहन होकर मिटाने है लगी जब
घाव अन्तस में हुए दिखते जरा भी बाहर तो नही है
गीत तेरी प्रीत के मचले से सागर तो नही है
वेदना से सिक्त कोई प्रेम गागर तो नही है
प्यार की परिणति गहन होकर मिटाने है लगी जब
घाव अन्तस में हुए दिखते जरा भी बाहर तो नही है