गीत :- जाम में हुस्न थोड़ा मिलाती गई ।
गीत :– जाम में हुस्न थोड़ा मिलाती गई
✍? अनुज तिवारी ” इंदवार”
अपने होठों से उनको पिलाती गई ।
जाम में हुस्न थोड़ा मिलाती गई ।
दिल में हलचल हुई चैन खोने लगा ,
फिर ये मौशम जवां और होने लगा ,
नाज़ नखरे उन्हें मैं दिखाती गई ।
जाम में हुस्न थोड़ा मिलाती गई ।
गीत गाते गए गुनगुनाते गए ,
एक दूजे को हम आजमाते गए ,
प्यार ही प्यार उन पर लुटाती गई ।
जाम में हुस्न थोड़ा मिलाती गई ।
शाम रौशन हुई औ नशा छा गया ,
फ़िर मुहब्बत का हमको मजा आ गया ,
शर्म के अपने घूंघट हटाती गई ।
जाम में हुस्न थोड़ा मिलाती गई ।
अपनी बाहों में मुझको झुलाते रहे ,
ऐसे हाथों से जुल्फ़ें हटाते रहे ,
मैं तो आंखें शरम से झुकाती गई ।
जाम में हुस्न थोड़ा मिलाती गई