गीत चमन के क्या गाओगे
दर्द किसी को देकर पगले,सुख जीवन में ना पाओगे।
कुचला कलियों को पैरों से,गीत चमन के क्या गाओगे।।
सच से आँखें फेर रहे हो,
नादानी में तैर रहे हो,
सागर तुमसे पार न होगा,
लहरों से कर वैर रहे हो,
नाव लिए हो पतवार नहीं,कैसे साहिल तक जाओगे।
नीर भरे हैं जिन आँखों में,प्यार नहीं हाय उठाओगे।।
प्रेम छुअन देकर संग चलो,
जीत हृदय को मन रंग चलो,
त्याग रहे बस विश्वास रहे,
लेकर मन सजग उमंग चलो,
गिरते को संभालोगे,हारे को भी हर्षाओगे।
सपने देकर जोश भरोगे,इंसान तभी कहलाओगे।।
निर्बल का शोषण कायरता,
छोड़ो ऐसी हठ आतुरता,
आँसू पोंछो मान करो तुम,
पावन करलो शुभ से निजता,
देने वाला जीता जग में,देकर मालिक कहलाओगे।
छीनोगे औरों का हक तुम,डाकू गुंडे बन जाओगे।।
–?आर.एस.प्रीतम?–
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