गीत गजलों की महफ़िल सजा दीजिए
गीत गजलों की’ महफ़िल सजा दीजिए।
छंद कोई अनोखा सुना दीजिए।। (1)
आज महफ़िल रंगी काव्य के रंग में,
आप भी रंग अपना दिखा दीजिए ।(2)
सख्त बंजर जमीं है तो’ फिर क्या हुआ,
फूल कोई सुगंधित खिला दीजिए। (3)
छोड़ दो नफरतें जो दिलों में बसीं,
प्यार की गंग कोई बहा दीजिए। (4)
तल्ख बातें बहुत हो चुकीं हैं यहां ,
अब जरा उन पे अंकुश लगा दीजिए ।(5)
जुर्म जो कर रहे धर्म के नाम पर,
बच न पायेंगे अब वो जता दीजिए। (6)
कर रहे जो सरों को धड़ों से अलग,
भर गया पाप का घट बता दीजिए। (7)
अटल मुरादाबादी
9650291108