गीत- कृपा करना सदा हमपर…
कृपा करना सदा हमपर दया सबपर तुम्हारी है।
मिले मंज़िल हमें मालिक दुवा इतनी हमारी है।।
बिना मर्ज़ी तुम्हारी एक पत्ता भी नहीं हिलता।
तुम्हीं से शूल हैं जग में तुम्हीं से फूल हर खिलता।
मिले विद्या खिले जीवन यही मन्नत निखारी है।
मिले मंज़िल हमें मालिक दुवा इतनी हमारी है।।
तुम्हीं अपने तुम्हीं सपने तुम्हीं शृंगार जग का हो।
तुम्हीं रिश्ते तुम्हीं नाते तुम्हीं आधार जग का हो।
खिलाओ ज़िंदगी प्रभु जी यही इच्छा सुधारी है।
मिले मंज़िल हमें मालिक दुवा इतनी हमारी है।।
तुम्हीं नदियाँ तुम्हीं सागर तुम्हीं झरना तुम्हीं गुलशन।
तुम्हीं माता पिता तुम ही तुम्हीं पतझड़ तुम्हीं मधुबन।
तुम्हारे रूप सारे है रची दुनिया सँवारी है।
मिले मंज़िल हमें मालिक दुवा इतनी हमारी है।।
आर. एस. ‘प्रीतम’