गीत- अँधेरे तो परीक्षा के लिए…
अँधेरे तो परीक्षा के लिए आते नहीं डरना।
विजय मिलती उजालों को कमल बन पंक में खिलना।।
बड़ा सोचें वही करते हमेशा काम अतिसुंदर।
लिए संकल्प की ताक़त वही देखें मधुर मंज़र।
खुला आकाश मिल जाए उड़ानें जोश से भरना।
विजय मिलती उजालों को कमल बन पंक में खिलना।।
लड़े जो आख़िरी दम तक दुवा उसको मिला करती।
डरे हारे सुनो उससे ग़िला क़िस्मत किया करती।
दिखा सीना कभी तू मौत से डरकर नहीं झुकना।
विजय मिलती उजालों को कमल बन पंक में खिलना।।
तेरी ये हार शिक्षा है न कमज़ोरी समझ इसको।
मिला जो भी उसे स्वीकार कर ‘प्रीतम’ यहाँ डिस्को।
रुको चाहे मगर झरना हृदय झरना किए झरना।
विजय मिलती उजालों को कमल बन पंक में खिलना।।
आर.एस. ‘प्रीतम’