गीतिका
गीतिका-11
——
मापनी-221-1222-221-1222
समान्त- आते , पदान्त -हैं
—
हम भूल गये उसको कर याद न पाते हैं ।
ये कर्म हमारे ही दुख दर्द दिलाते हैं ।।
–
क्या क्या न किया हमने कुछ याद नहीं हमको ।
जब कष्ट मिला हमको तो अश्क बहाते हैं ।।
–
पूरे न किये हमने सब भूल गये वादे ।
जब पीर उठी तड़फे तब नैन झुकाते हैं ।।
–
भर कोष लिये हमने गठरी न उठे भारी ।
जो कर्म किये हमने कुछ काम न आते हैं ।।
–
माया न किसी की है बस एक खुदा मालिक ।
है राम वही कृष्णा सब ग्रन्थ बताते हैं ।।
–
अब छोड़ इसे पगले कुछ भी न बना बिगड़ा ।
कर याद सदा उसको जो ईश कहाते हैं ।।
—
महेश जैन ‘ज्योति’ ,
मथुरा ।