गीतिका
गीतिका -1
शारदा वंदना
(1222 1222 1222 1222)
—
तुम्हारे पास हे माता दुआओँ का खजाना है।
तुम्हीं से उस खजाने से हमें कुछ आज पाना है ।।
०
नहीं कुछ ज्ञान है हमको मगर अभिमान है माता ।
कृपा कर दो उसी अभिमान को उर से हटाना है ।।
०
न जानें गीत की गति को न जानें छन्द की लय को ।
तुम्हीं दो ज्ञान हे माता रचें कैसे बताना है ।।
०
नदी की धार सी कविता हृदय की वादियाँ सींचे ।
बहा दो नीर ममता का जमाने को बचाना है ।।
०
न खाली हाथ जायेंगे तुम्हारे द्वार से मैया ।
हठी हैं लाल हम तेरे पड़े तुमको मनाना है ।।
०
वरद कर शीश पर धर दो यही विनती करें तुमसे ।
रचें हम छंद वन्दन के हमें तुमको लुभाना है ।।
०
जलायें ज्योति नेहा की प्रकाशित हों सभी राहें ।
अँधेरों को यहाँ से दूर हे माता भगाना है ।।
०००
महेश जैन ‘ज्योति ‘,
मथुरा ।
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