गीतिका
विधा-गीतिका
2122 2122 2122 212
शब्द में आनंद है तो, शब्द में ही क्रोध हैं
शब्द है अज्ञानता तो, शब्द में ही बोध हैं
शब्द यदि टकरार है तो, प्रेम का प्रतिमान भी
शब्द से सम्मान है तो, शब्द से अपमान भी
शब्द घातक शूल है तो, शब्द से ही शोथ हैं
शब्द है अज्ञानता तो, शब्द में ही बोध हैं
शब्द यदि गाली बनी तो, शब्द गीता काव्य भी
शब्द यदि है साधना तो, शब्द से ही साध्य भी
शब्द यदि उत्थान है तो, शब्द ही प्रतिरोध हैं
शब्द है अज्ञानता तो, शब्द में ही बोध हैं
शब्द दैविक सम्पदा है, शब्द सुख का सार हैं
शब्द से जीवन सजा है, शब्द तो उपहार हैं
शब्द मीठे आप बोलो, आप से अनुरोध हैं
शब्द है अज्ञानता तो, शब्द में ही बोध है
शब्द यदि ओंकार है तो, शब्द ब्रम्ह गणेश हैं
शब्द यदि अवहेलना तो, शब्द ही उपदेश हैं
शब्द दुखदायी बने तो, शब्द ही आमोद हैं
शब्द है अज्ञानता तो, शब्द में ही बोध है
■अभिनव मिश्र”अदम्य”