गीतिका
गीतिका -24
यादों के परवाने
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(आधार छंद चौपाई )
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यादों के परवाने आये ।
जलने और जलाने आये ।।१
०
मैं तो सब कुछ भूल चुका था ।
मुझको याद कराने आये ।।२
०
शहदीली बिसरी बातों को ।
शायद मुझे बताने आये ।।३
०
टपका करते थे अलकों से ।
मोती मुझे दिखाने आये ।।४
०
छिपा रखे थे कुछ खत मैंने ।
पढ़ने और पढ़ाने आये ।।५
०
साँसों की रेशमी छुअन को ।
कुछ पल को लौटाने आये ।।६
०
बहुत कठिन है पीर छिपाना ।
घावों को सहलाने आये ।।७
०००
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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