Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jul 2019 · 1 min read

गीतिका….. सहमी है बेटियां

******** सहमी है बेटियां ******
************

अब हो रही शिकार, दरिंदों से बेटियां
ना घर में सुरक्षित हैं, ना ही बाहर बेटियां

कैसी हवा चली है, जलन लेके अब की बार
मासूम अबोध भी, हुई शिकार बेटियां

कानून की धारा का, इंतजार कब तलक
बधिया बना दो जिसने भी, लूटी है बेटियां

दो ..चार बहसीयों को, सजा ऐसी दीजिए
जो कांप उठे मौत, हंसे सहमी बेटियां

आजाद वतन में कहां, आजाद है बेटी
बहसी निगाहों से डरी, सहमी बेटियां

आओ हम ही उठाएं, हथियार ए.. “सागर*”
जो जी सकें बेटों की तरहा, प्यारी सी बेटियां
*******
मूल रचनाकार ….. डॉ. नरेश “सागर”
——–इंटरनेशनल बेस्टीज साहित्य अवार्ड 2019 से सम्मानित

1 Like · 501 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
🌹ढ़ूढ़ती हूँ अक्सर🌹
🌹ढ़ूढ़ती हूँ अक्सर🌹
Dr Shweta sood
"चुलबुला रोमित"
Dr Meenu Poonia
पहला प्यार - अधूरा खाब
पहला प्यार - अधूरा खाब
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"बेखुदी "
Pushpraj Anant
!! हे लोकतंत्र !!
!! हे लोकतंत्र !!
Akash Yadav
निकट है आगमन बेला
निकट है आगमन बेला
डॉ.सीमा अग्रवाल
!! यह तो सर गद्दारी है !!
!! यह तो सर गद्दारी है !!
Chunnu Lal Gupta
2911.*पूर्णिका*
2911.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुलनात्मक अध्ययन एक अपराध-बोध
तुलनात्मक अध्ययन एक अपराध-बोध
Mahender Singh
Kitna hasin ittefak tha ,
Kitna hasin ittefak tha ,
Sakshi Tripathi
डूबा हर अहसास है, ज्यों अपनों की मौत
डूबा हर अहसास है, ज्यों अपनों की मौत
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
*बीमारी न छुपाओ*
*बीमारी न छुपाओ*
Dushyant Kumar
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
Kanchan Khanna
भारत का सिपाही
भारत का सिपाही
आनन्द मिश्र
व्यंग्य क्षणिकाएं
व्यंग्य क्षणिकाएं
Suryakant Dwivedi
" सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
ऐसे हैं हमारे राम
ऐसे हैं हमारे राम
Shekhar Chandra Mitra
प्रभु पावन कर दो मन मेरा , प्रभु पावन तन मेरा
प्रभु पावन कर दो मन मेरा , प्रभु पावन तन मेरा
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
मूर्ख बनाने की ओर ।
मूर्ख बनाने की ओर ।
Buddha Prakash
गरमी लाई छिपकली, छत पर दीखी आज (कुंडलिया)
गरमी लाई छिपकली, छत पर दीखी आज (कुंडलिया)
Ravi Prakash
ग़ज़ल/नज़्म - फितरत-ए-इंसा...आज़ कोई सामान बिक गया नाम बन के
ग़ज़ल/नज़्म - फितरत-ए-इंसा...आज़ कोई सामान बिक गया नाम बन के
अनिल कुमार
आपके स्वभाव की
आपके स्वभाव की
Dr fauzia Naseem shad
हरे भरे खेत
हरे भरे खेत
जगदीश लववंशी
शुभ दीपावली
शुभ दीपावली
Harsh Malviya
समझदारी ने दिया धोखा*
समझदारी ने दिया धोखा*
Rajni kapoor
पुकार
पुकार
Dr.Pratibha Prakash
मैं पुरखों के घर आया था
मैं पुरखों के घर आया था
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
बचपन खो गया....
बचपन खो गया....
Ashish shukla
माफ करना मैडम हमें,
माफ करना मैडम हमें,
Dr. Man Mohan Krishna
Loading...