गीतिका (गजल)
गीतिका
के लिए
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आपदा में कुछ लगे व्यापार करने के लिए।
अस्पतालों में जगह न,पांव धरने के लिए ।
आसमानी दाम आक्सीजन कहीं इंजेक्शन,
ले रहे हैं नोट गोदामों में भरने के लिए ।
आम जनता ने बताया अपने जीवन का मरम,
मैं बनी हूँ वोट देने और मरने के लिए ।
क्यों लगाई पैसे बिन धनियों की बीमारी गले,
बोल जै श्री राम बंदे,जग से तरने के लिए ।
खेत में हरियाली है, तो तू नहीं खा पाएगा,
पाले पोसे छूटे हैं कई साँड़ चरने के लिए ।
बंद कर मुँह मास्क से दूरी बना, ऐलान सुन,
शीघ्र राजा आएंगे अब पीर हरने के लिए ।
गुरू जी दो डोज मारे,पार सत्तर के हुए,
घर में हैं तो क्या बचा है ,और डरने के लिए ।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश