Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Sep 2016 · 1 min read

गीतिका/ग़ज़ल

मापनी- २,२,२,२,२,२,२,२, पदांत- किया जाता है , समान्त- आन

“गीतिका- गज़ल”

प्रति दिन दान किया जाता है
मान गुमान किया जाता है
जिंदगी चलती नेक राहों पर
चल अभिमान किया जाता है॥

तिल-तिल बढ़ती है बारिकियाँ
जिस पर शान किया जाता है॥

पपिहा पी पी कर पछताए
कलरव गान किया जाता है॥

परिंदे दूर तलक उड़ जाते
हद पहचान किया जाता है॥

पग पग पर चढ़ आ जाए तो
बैठ थकान किया जाता है॥

गफलत हो जाती है गौतम
खुद का मान किया जाता है॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

269 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नन्ही परी चिया
नन्ही परी चिया
Dr Archana Gupta
जीवन के सफ़र में
जीवन के सफ़र में
Surinder blackpen
Be with someone who motivates you to do better in life becau
Be with someone who motivates you to do better in life becau
पूर्वार्थ
आबाद मुझको तुम आज देखकर
आबाद मुझको तुम आज देखकर
gurudeenverma198
राजनीति के नशा में, मद्यपान की दशा में,
राजनीति के नशा में, मद्यपान की दशा में,
जगदीश शर्मा सहज
देश खोखला
देश खोखला
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
बच्चे
बच्चे
Kanchan Khanna
'आभार' हिन्दी ग़ज़ल
'आभार' हिन्दी ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
Rj Anand Prajapati
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-139 शब्द-दांद
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-139 शब्द-दांद
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हमेशा आंखों के समुद्र ही बहाओगे
हमेशा आंखों के समुद्र ही बहाओगे
कवि दीपक बवेजा
पिता की याद।
पिता की याद।
Kuldeep mishra (KD)
आज की जरूरत~
आज की जरूरत~
दिनेश एल० "जैहिंद"
नेता जी
नेता जी
Sanjay ' शून्य'
मीठी वाणी
मीठी वाणी
Kavita Chouhan
"एकता का पाठ"
Dr. Kishan tandon kranti
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
सोच के दायरे
सोच के दायरे
Dr fauzia Naseem shad
नजराना
नजराना
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
वक्त तुम्हारा साथ न दे तो पीछे कदम हटाना ना
वक्त तुम्हारा साथ न दे तो पीछे कदम हटाना ना
VINOD CHAUHAN
शोख- चंचल-सी हवा
शोख- चंचल-सी हवा
लक्ष्मी सिंह
*स्वजन जो आज भी रूठे हैं, उनसे मेल हो जाए (मुक्तक)*
*स्वजन जो आज भी रूठे हैं, उनसे मेल हो जाए (मुक्तक)*
Ravi Prakash
जय मातु! ब्रह्मचारिणी,
जय मातु! ब्रह्मचारिणी,
Neelam Sharma
बिधवा के पियार!
बिधवा के पियार!
Acharya Rama Nand Mandal
बावन यही हैं वर्ण हमारे
बावन यही हैं वर्ण हमारे
Jatashankar Prajapati
हिन्दी पर विचार
हिन्दी पर विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जीवन
जीवन
Bodhisatva kastooriya
मुझको कुर्सी तक पहुंचा दे
मुझको कुर्सी तक पहुंचा दे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*बोल*
*बोल*
Dushyant Kumar
2628.पूर्णिका
2628.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...