गीता के उपदेश
हटी नही जब पाप की, दिल से धुंध रमेश !
व्यर्थ हुए सारे सुने,……. गीता के उपदेश !!
तुमने जब मारा नही,भीतर का शैतान !
तब गंगा में व्यर्थ है, हर डुबकी इंसान !!
अपनो से करने लगें,अपने ही जब बैर !
आ जाते हैं द्वार तक, बैरी के फिर पैर ! !
रमेश शर्मा