गिरगिट
इस रंगीन जगत से गिरगिट
तुम बाहर आ जाओ आज
रंग बदलना बंद करो अब
धोती-कुरता धारो आज।
रंग बदलना तेरा प्रतिपल
मानव को बहकाता है
वस्त्रहीन होकर अब मानव
झट बेरंग हो जाता है।
कभी लाल पीला वह होता
हरा कभी हो जाता है
मन उसका नीला हो जाता
जहरीला हो जाता है।
नंगा गिरगिट,मानव नंगा
नंगेपन की दौड़ लगी है
नंगेपन में रंग बदलना
मानवता अब सीख रही है।