गाज़ियाबाद कै बियाह।
परसपुर से पसका जा रहा था। जीप में बैठा उकता रहा था। जीप वाले से पूछा कि भाई जीप कब चलेगी तो उसने बताया या तो अच्छी खासी सवारी मिल जाएं या फिर 1 बजे चलेगी। मैंने घड़ी देखी 12.30 बज रहे थे । सोचा आधा घंटे की बात है। थोड़ी देर के बाद दो छोटी लड़कियों के साथ एक महिला आई। थोड़ा चहल पहल शुरू हुई। लड़कियां काफी बातूनी थी। उनके बीच लगातार बातचीत हो रही थी। कुछ समय पश्चात एक महिला और आईं और उनके बीच भी वार्तालाप शुरू हो गया। आप लोगों की सुविधा के लिए पहली महिला का काल्पनिक नाम रानी और दूसरे का पूनम रखता हूँ।
पूनम : ऐ बहनी ई दूनों बिटिये आपके हैं।
रीना : नाहीं यहमा एक ठू लरिका है , जउन गाढा काजरवा लगाए है।
पूनम : दूनों बहुत तेज हैं , देखित है एकदम शांत नाहीं बैठ सकत हैं।
रीना : ई बात तो सही है , कहूँ अनचिन्ह नाहीं मानत हैं दूनों ।
पूनम : कहाँ से आवत हू।
रीना : गाजियाबाद में बियाह रहा वहीं गेन रहा , रिजेर्वेसन जरवल तक रहा , वहां हमार एक चाची रहीं रतिया का वहीं रुक गएन रहा। आज वै करनैलगंज तक छोडवाय दीन्ह अब संगम के पार मांझा जाइत है।
पूनम : बियाहे मां तो बड़ा मजा आवा होई ।
रीना : काहे का मज़ा , अब तौ हम कान पकर लिहेन , कोही के बियाहे मां दिल्ली , बम्बई , कलकत्ता कहुँ न जाब , जब दूल्हा दुलहिन गांव आइहैं तब जाएक मिल लेब।
पूनम : कुछ गड़बड़ होइ गवा रहा का ?
रीना : चाची कै डब्बा दूसर रहा हमार दूसर रहा , जब लड़कवन का सीटिया पर बैठाय दीन्ह तब सोचन जायके चाची से मिल आई , औ हम जब उतर कर आगे बढ़ गएन तौ डब्ब्वा भुलाय गएन, अब तो हम्मे बड़ी जोर घबराहट होय लाग।
पूनम : वहमां कौन बड़ी बात रही। अपने डब्ब्वा में वापिस चले जाएक रहा।
रीना : चली जाइत बहनी पर टिक्सवा प्रस्वे मां रहा आउर पर्सवा हम अपने सीट पर छोड़ आएन रहा।
पूनम : फिर !
रीना : फिर का हम अपनो डब्ब्वा भूल गएन रहा , अब हमरे निगाहे के आगे हमरे लरिकन का चेहरा आवा आउर हम भोकर छोड़ कर रोवेक शुरू किहेन , हमार रोआई सुनकर तीन चार बड़वार लरिका हमरे पास आये औ कहीन का हुआ चाची, हम उनका सब हाल सुनाएँन , रोआई रुकत नाहीं रही , सब पूछीन डब्बा कै नंबर याद है , तौ हम कहेन आखिरी में 4 लिखा रहा , तब सब कहै लागै की मुशिकल है पर चलो साथे पहचानने की कोशिश कीहो , हम कुछ पहचान वहचान नाहीं पाएन और गश खाइके गिर पड़ेंन।
पूनम : ई तौ बड़ा कठिन समय रहा ।
रीना : हाँ बहिनी , पर भगवान मनई के रूप मां फिरत है। सब पानी छीरक के हमें होश मां लाइन फिर एक ठो टिकस वाला आवा हमार नाम पूछिस औ बड़ी देर तक पन्ना पलट पलट हमार नाम खोज के हमे हमरे लड़िकन के पास पहुँचाइस।
पूनम : बहुत नीक आदमी रहा।
रीना : हाँ बहनी अबकी कातिक नहान मां हम ओकरे लिए वाराह मन्दिर मां पूजा अर्चना करब औ उन सब लोगन के खातिर भगवान से प्रार्थना करब की उन सबका तन धन मन से सुखी रखे आउर सबका लंबी आयु दें।
तब तक पसका आ गया और जीप वाराह मंदिर के थोड़ा आगे रुकी। मैंने भी जाकर वहां माथा नवाया और अपने दोस्त डॉक्टर राजेश भारती के क्लिनिक की तरफ बढ़ चला।