गाल बजाना ठीक नही है
गाल बजाना ठीक नहीं है।
यह जीने की लीक नही है।
बातें अच्छी ही तुम बोलो
इससे अच्छी सीख नहीं है।
गाल बजाना ठीक नही है।
सुन्दर बातें सुन्दर भाषा ,
करती हैं पूरी अभिलाषा।
अच्छी चीज कहीं से सीखो,
शिक्षा कोई भीख नही है ।
गाल बजाना ठीक नही है।
आपस में तुम ठीक से रहना।
यह मानवता का है गहना।
भेद -भाव न मन में रखना ,
इससे कुछ पुनीत नही है
गाल बजाना ठीक नही है।
जैसी करनी वैसी भरनी।
इस से पटी पड़ी है धरनी।
बात यही है सत्य पुरातन,
इससे सस्ता नीक नही है ।
गाल बजाना ठीक नही है।
विजय कुमार पाण्डेय “प्यासा”
करपलिया
सिवान (विहार)