गाय
रोम-रोम में देव बसे है ,गाय हमारी माता है।
परम पूज्य पाप हारिणी माँ, सबसे परम् पुनीता है।
दूध-दही घी-मक्खन औषधि , सकल रूप गुणकारक है।
स्वस्थ प्रदायक , मंगल कारक , समूल रोग निवारक है।
गोबर के खाद से उर्वरा , हर खेत लहलहाती है।
तन की चमड़ी भी यह अपनी , हमको अर्पित करती है।
गौ माता के बैलों द्वारा , अन्न वस्र हम पाते हैं।
इनके अमृत को पीकर के , बल-शाली बन जाते हैं ।
जो जन इनकी सेवा करते , भव सागर तर जाते हैं ।
वेद-पुराण-उपनिषद भी तो , इसकी महिमा गाते हैं ।
नर-पिशाच बन गौ माता की , हत्या करते नाहक है।
गौ वध बंद करो जल्दी अब , गौ वध भारी पातक है।
-वेधा सिंह
-कक्षा पांचवीं