गाय को पता नहीं/ प्रसिद्ध व्यंग्यकार और कवि विष्णु नागर की कविता
गाय को पता नहीं
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गाय को पता नहीं कि उसके नाम पर
इतने हत्यारे पैदा हो चुके हैं
उसे पता होता तो और तो वह क्या करती
अपने बछड़े को भूखा मार कर भी
दूध देना बंद कर देती
गोबर और पेशाब करना तक बंद कर देती
वह मर जाती लेकिन हत्यारों की एक न चलने देती
वह मर जाती लेकिन अपनी लाश उन्हें छूने नहीं देती
वह मर जाती लेकिन इन्हें इतनी दूर खदेड़ती कि
ये उसे माँँ कहना तो दूर
जानवर कहना तक भूल जाते।
~ विष्णु नागर Vishnu Nagar