महायज्ञ।
महायज्ञ ।
-आचार्य रामानंद मंडल
आइ भाई समान राम बिलास ठाकुर जी बड याद आवैय हैय। फेसबुक एकटा पोस्ट से मालूम भेल कि परसुयेअइ दुनिया के छोड़ देला।वो बड़ा बीमार छल आ अंतिम समय में अपन नौकरीहा बेटा संग विशाखापट्टनम में रहैत रहलन।
हुनका संग बितायल समय मन के चित्र पट पर आबे लागल। वित्त रहित कालेज घनश्यामपुर में काम करैत,आइ से सैंतीस बरस पहिले गायत्री महायज्ञ के।
ठाकुर जी गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार से जुड़ल रहथि।वो परिव्राजक रहथिन।हुनकर मन घनश्यामपुर में गायत्री महायज्ञ कराबे के भेल।वो हमरा अपना मन के बात बतैलन। महायज्ञ के जगह जमीन के लेल घनश्यामपुर बस स्टैंड के बगल के जमीन वाला कपल साह से बातचीत कैली।वोइ जमीन पर हुनके बनायल महादेव मठों हैय।
कपल बाबू महायज्ञ के लेल जमीन देबे के लेल तैयार हो गेलन।कपल बाबू कहलन-हम चंदा देब आ लोग सभ से देबाबे में मदत करब।
अब यज्ञ के प्रचार-प्रसार आ चंदा संकलन के लेल टीम बनल। पहिले हम दूनू गोरे पैसा लगा के हैंड बिल आ पोस्टर छपबैली। ठाकुर जी कहलन- दयानंद बाबू प्रचार यही के करें के हैय।एगो रिक्शा आ लाउडस्पीकर भाड़ा पर लेके प्रचार -प्रसार पर निकल गेली।माइक से हम ही प्रचार करे लगली।हम हाथ में माइक लेके बोल ली-हेलो।हेलो। घनश्यामपुर में पहिल बेर गायत्री महायज्ञ बस स्टैंड में पांच फरवरी उन्नीस सौ पचासी के हो रहल हैय।सभ कोई महायज्ञ में भाग लूं आ पूण्य के भागी बनूं। महायज्ञ में सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार, नामांकरण संस्कार,विद्यारंभ संस्कार, पुंगनवन संस्कार और अन्य सभ संस्कार भी कैल जायत।यज्ञ के सफल बनाबे के लेल यथा शक्ति सहयोग करु जाव।
लोग सभ उत्सुकता आ आश्चर्य से देखें। अइ क्षेत्र में में गायत्री महायज्ञ न भेल रहे।इ क्षेत्र बाभन बहुल क्षेत्र भी रहे। बाभन सभ में आंतरिक प्रतिक्रिया भी भेल। लेकिन खुल के बिरोध न कैलन।काना फूसी जरूर शुरू भे गेल। गायत्री महायज्ञ सोलकन सभ केना करतै।
आबि महायज्ञ मंडप के लेल बांस आ खरही के जरूरत भेल। मालूम भेल कि बगल के गांव सियानानी जे नेपाल में परैय हैय वहां के महनजी के बांस आ खरही बहुते हैय।
हम दूनू गोरे महनजी के यहां गेली।दंड परनाम भेल।हम सभ अपन परिचय देली कि हम सभ घनश्यामपुर कालेज में पढवै छी आ घनश्यामपुर में गायत्री महायज्ञ
करवा रहल छी।यज्ञ मंडप बनाबे के लेल बांस खरही के जरूरत हैय।मंहजी अपना जिरितिया सियावर झा के बुलैलन आ कहलन-हिनकर सभ के काज कै दिऔ।
सियावर झा कहलन-अंहा सभ परसौ आउ। हमरा से सियावर झा के बेटा टिउशन पढे।वो आठवां पढैत रहे।
जौं हम दूनू गोरे परसौ सियावर झा से मिलली त बतैलैन कि-अंहा सभ के मालूम हैय। सियानानी संस्कृत कैंपस के गुरु जी सभ महनजी से मिल के कहलन हैय कि गायत्री महायज्ञ के मंडप बनाबे के लेल बांस आ खरही नै दूं।अइला कि इ गायत्री महायज्ञ सोलकन सभ क रहल हैय।सोलकन के गायत्री यज्ञ करे के अधिकार नै हैय। महनजी हुनका सभ के कोई उत्तर न देलथिन हैय। गुरु जी सभ के चल गेला के बाद हम महनजी के कहैलियन कि गायत्री महायज्ञ घनश्यामपुर कालेज के विद्वान शिक्षक सभ करैत छथि।हुनका मदत करनाइ जरुरी हैय।न त बड़का बबाल हो जायत। बैकवर्ड फारबर्ड के लड़ाई हो जायत।अपन गांव सियानानी त बैकवर्ड बहुल हैय।खाली सोलकने सोलकन।सभ पढल-लिखल। महनजी कहलन-सियावर जी अंहा के जे मन हैय से करु।
बाद में सियावर झा हमरा कहलन- दयानंद बाबू अंहा हमरा बेटा के गुरुजी छी। अंहा हमरा इहा आयल छी।हम अंहा के मांग के नै टाल सकै छी। अंहा दूनू गोरे जाउ।हम स्थान के ट्रैक्टर से आइ सांझ में बांस आ खरही यज्ञ स्थल पर गिरा देब।हम दूनू गोरे घनश्यामपुर चल अइली।
सांझ में सियावर जी ट्रैक्टर से बास आ खरही गिरा देलन।अइ बीच में पर्याप्त चंदा भी जमा भे गेल। खूब सुंदर यज्ञ मंडप बन के तैयार भ गेल।तीन फरवरी के सांझ में शांति कुंज हरिद्वार से संगीत मंडली पहूच गेल।
चार फरवरी के सुबह में मुख्य यजमान कपल साह आ हुनकर धर्म पत्नी के नेतृत्व में यज्ञ के लेल एक सौ एक कुंवारी कन्या के साथ मंगल कलश यात्रा निकलल। लाउड स्पीकर से ऊ भूर्भुवः स्व के उद्घोष होइत रहे।बगल के धौंस नदी के जल से घड़ा भरल गेल। नदी के किनारे के सुंदर दृश्य देखे लायक रहे। भक्त सभ कैमरा से फोटो खींचै आ खींचाबे लागल। मंगल कलश यात्रा यज्ञ मंडप तक आके समाप्त भे गेल। प्रसाद लेके लोग सभ अपन अपन घर चल गेल।
पांच फरवरी के सुबह से लाउडस्पीकर से भक्ति गीत बजे लागल।पूरा वातावरण भक्तिमय हो गेल।यज्ञ देखे आ करे लेल भक्तन के भीड़ बढ गेल। गायत्री परिवार के परिव्राजक राम विलास ठाकुर के पौरिहित्य में पंचकुंडीय महायज्ञ शुरू भेल।बारी बारी से समूह में भक्तसभ आहुति देबे लागल।
यज्ञ मंडप के भक्त सभ परिक्रमा करै लागल। आश्चर्य त तब लागल जब सियानानी संस्कृत कैंपस के गुरु जी सभ हाथ जोड़ के यज्ञ मंडप के परिक्रमा करै लगनन।जे यज्ञ के विरोधी रहैत। कुछ चिन्हा परिचय के लोग सभ गुरु जी के कहलकै कि गुरूजी अंहा सभ त सोलकन के यज्ञ कहि के महनजी से यज्ञ मंडप लेल बांस आ खरही के लेल मना कै देले रहलिये कि गायत्री यज्ञ करे के सोलकन अधिकारी नै हैय।त अंहा सभ सोलकन यज्ञ में परिक्रमा कैला करे अइली हैय। गुरु जी कहलन-हं।हम सभ विरोध जरुर कैली हैय।परंच आबि गायत्री महायज्ञ शुरू हो गेलैय। गायत्री माता के आह्वान हो गेलैय। गायत्री माता के जौ पदार्पण हो गेलैय त हम सभ विरोध नै कर सकै छी। विरोध कै के हम सभ राक्षस नै बन सकै छी।अब त हम सभ भी पूर्णाहुति कर के ही जायब।सभ लोग उत्तर सुनके खुश हो गेल।
यज्ञ होइत रहे। आहुति कार्यक्रम के बाद सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार, नामांकरण संस्कार, पुंसवन संस्कार, विद्यारंभ संस्कार आदि संस्कार कैल गेल।बाद में पूर्णाहुति भेल। बहुत भक्त दीक्षा ले लेलन।
प्रसाद बंटायल। भंडारा भेल। संध्या में हरिद्वार से आयल संगीत मंडली भक्ति संगीत आ युग संगीत प्रस्तुत कैलक। लोग सभ गायत्री महायज्ञ में भाग लेके गायत्री परिवार से जुड़ गेल।
भाई साहब ठाकुर जी के प्रयास से वोइ यज्ञ स्थल पर कपल बाबू के सहयोग से पक्का पंचकुंडीय यज्ञशाला बन के तैयार हैय। आबि हर पूर्णिमा के भक्त सभ गायत्री यज्ञ करैत हैय। हर साल वसंत पंचमी के गायत्री महायज्ञ होइत हैय। आइ गायत्री परिवार के बड भाई रामबिलास ठाकुर जी बड़ा याद आवै हैय।
स्वरचित © सर्वाधिकार रचनाकाराधीन।
रचनाकार-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी.