*गाता है शरद वाली पूनम की रात नभ (घनाक्षरी: सिंह विलोकित छंद
गाता है शरद वाली पूनम की रात नभ (घनाक्षरी: सिंह विलोकित छंद)
_________________________
गाता है शरद वाली पूनम की रात नभ
भीग-भीग चाँदनी में मन मुस्काता है
मुस्काता है हृदय चाँदी के समान चन्द्र
देख-देख जैसे ज्वार सागर में आता है
आता है असीम सुख रसमयता में डूब
प्रेम की पवित्र निधि जैसे कोई पाता है
पाता है जो चन्द्रमा का सरस बरस रस
श्वास-श्वास जैसे महामिलन को गाता है
—————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451